इमाम हसन अ. के शुभ जन्म दिवस पर महफ़िल के साथ नौनिहाल बच्चो की “बिस्मिल्लाह” कार्यक्रम का आयोजन
इल्म सीखना समाज और देश की बुलंदी और तरक्की का सबब बनता है।-मौलाना जवाद अस्करी
बाराबंकी:इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस पर इमामबाडा वक़्फ़ नवाब अमजद अली खां बेगमगंज में महफ़िल के साथ नौनिहाल बच्चो की “बिस्मिल्लाह” कार्यक्रम का आयोजन मौलाना जवाद अस्करी की अद्यक्षता में सम्पन्न हुआ,इस मौके पर मौलाना जवाद ने कहा इल्म सीखना समाज और देश की बुलंदी और तरक्की का सबब बनता है।
शाही मस्जिद बेगमगंज के इमामे जमात हाफिज शब्बीर साहब ने कार्यक्रम की शुरूआत तिलावते कलामे पाक से किया,इस मौके पर कशिश संदीलवी की निज़ामत में पेश खवानी अजमल किंतूरी फ़ैज़ ख़ुमार,सरवर अली रिज़वी ने किया।
हबीब रज़ा, अहसन अब्बास, अयान अब्बास, असद अब्बास ,समद अब्बास, अहद अब्बास, अयान अब्बास की “बिस्मिल्लाह” (पढ़ायी की शुरुआत) मौलाना जवाद अस्करी ने पढ़वाकर और लिखवा कर किया।
इस मौके पर मौलाना जवाद अस्करी ने कहा हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का जन्म रमज़ान के महीने में 15 रमज़ान को मदीना में हुआ था। जलालुद्दीन नामक इतिहासकार ने अपनी पुस्तक तारीखुल खुल्फ़ा में लिखा है कि आपकी शक्ल पैग़म्बर से मिलती थी। हज़रत इमाम हसन अल-हिस्सलाम का पालन
-पोषण उनके माता पिता व आपके नाना हज़रत पैगम्बर (स0) की देख-रेख में हुआ। और इन तीनों महान लोगों ने मिलकर हज़रत इमाम हसन अल-हिस्सलाम में मानवता के सभी गुण विकसित किये थे।
मौलाना जवाद ने आगे कहा इमाम हसन अलैहिस्सलाम गरीबों के साथ आये उन्होंने कहा प्रत्येक व्यक्ति का मूल्य उसके ज्ञान के बराबर है,मुझे तक़वा (ईश्वर का भय) से बढ़कर वस्त्र, धन से उत्तम वस्तु, दया और रहमत नहीं मिली।
अज्ञानी की बुरी आदतें संगति में पाई जाती हैं और बुद्धिमान की अच्छी आदतें बातचीत में पाई जाती हैं।
अपने दिल को जिंदा रखो.बुख़्ल (कंजूसी) और ईमान किसी के दिल में एक साथ इकट्ठे नहीं हो सकते। अपना ज्ञान दूसरों तक पहुंचाएं और स्वयं दूसरों का ज्ञान अर्जित करें।
अंत में इमामे जुमा मौलाना मोहम्मद रज़ा साहब और चचा अमीर हैदर एडवोकेट ,हाजी रईस अहमद की सेहत के लिए दुआ की गई,कार्यक्रम के संयोजक सरवर अली रिज़वी,शम्स रिज़वी,तक़ी हसनैन ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
